गंजापन दूर करें वैज्ञानिक तरीके से
गंजेपन
और बाल झड़ने की समस्या से बहुत लोग परेशान हैं। गंजेपन की समस्या से निजात दिलाने के लिए वैज्ञानिकों ने कई तकनीक का
विकास किया है। उन्नत तकनीक के कारण इन तरीकों से बड़ी आसानी से बालों को
उगाया जा सकता है। इसके अलावा नित नये वैज्ञानिक खोज इस क्षेत्र के लिए हो
रहे हैं।
हाल ही में वैज्ञानिकों ने स्टेम सेल के जरिए बालों को उगाने का तरीका खोज निकाला है। इसके अलावा इस तकनीक के जरिए कम उम्र में बालों के झड़ने की समस्या पर भी रोक लगेगी।
हाल ही में वैज्ञानिकों ने स्टेम सेल के जरिए बालों को उगाने का तरीका खोज निकाला है। इसके अलावा इस तकनीक के जरिए कम उम्र में बालों के झड़ने की समस्या पर भी रोक लगेगी।
स्टेम सेल
वैज्ञानिकों ने स्टेम सेल के जरिए बालों को उगाने का तरीका खोज निकाला है। येल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के मुताबिक त्वचा के नीचे पाए जाने वाले फैट सेल से बालों को नए सिरे से उगाया जा सकता है। इनमें मौजूद स्टेम सेल बालों को उगाने में मदद करेंगे। इस तरीके से उगाए गए बाल न सिर्फ स्थायी होंगे, बल्कि देखभाल के हिसाब से भी आसान साबित होंगे।
वैज्ञानिकों ने स्टेम सेल के जरिए बालों को उगाने का तरीका खोज निकाला है। येल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के मुताबिक त्वचा के नीचे पाए जाने वाले फैट सेल से बालों को नए सिरे से उगाया जा सकता है। इनमें मौजूद स्टेम सेल बालों को उगाने में मदद करेंगे। इस तरीके से उगाए गए बाल न सिर्फ स्थायी होंगे, बल्कि देखभाल के हिसाब से भी आसान साबित होंगे।
प्लेटलेट रिच प्लाज्मा थैरेपी
वैज्ञानिक और चिकित्सक गंजापन दूर करने के लिए अब तक उपलब्ध विकल्पों में इसे सर्वश्रेष्ठ मानते हैं। लेकिन अभी तक यह अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों में बेहद लोकप्रिय है। ऐसी उम्मीद है कि बालों को उगाने के इस तरीके का इस्तेमाल भारत में भी होने लगेगा। पीआरपी के नाम से लोकप्रिय इस प्लेटलेट रिच थैरेपी की सफलता तभी संभव है, जब आप पूरी तरह से गंजे नहीं हुए हों। पूरी तरह से गंजे हो चुके लोगों के लिए यह कारगर नहीं है।
हेयर ट्रांसप्लांट
इस तकनीक के जरिये शरीर के एक हिस्से से हेयर फॉलिकल्स को लेकर सिर में ट्रांसप्लांट किया जाता है। यह प्रक्रिया दो तरह से अमल में लाई जाती है। एक होती है स्ट्रिप तकनीक और दूसरी होती है फॉलिकुलर यूनिट ट्रांसप्लांट।
वैज्ञानिक और चिकित्सक गंजापन दूर करने के लिए अब तक उपलब्ध विकल्पों में इसे सर्वश्रेष्ठ मानते हैं। लेकिन अभी तक यह अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों में बेहद लोकप्रिय है। ऐसी उम्मीद है कि बालों को उगाने के इस तरीके का इस्तेमाल भारत में भी होने लगेगा। पीआरपी के नाम से लोकप्रिय इस प्लेटलेट रिच थैरेपी की सफलता तभी संभव है, जब आप पूरी तरह से गंजे नहीं हुए हों। पूरी तरह से गंजे हो चुके लोगों के लिए यह कारगर नहीं है।
हेयर ट्रांसप्लांट
इस तकनीक के जरिये शरीर के एक हिस्से से हेयर फॉलिकल्स को लेकर सिर में ट्रांसप्लांट किया जाता है। यह प्रक्रिया दो तरह से अमल में लाई जाती है। एक होती है स्ट्रिप तकनीक और दूसरी होती है फॉलिकुलर यूनिट ट्रांसप्लांट।
लेजर ट्रीटमेंट
लेजर से भी गिरते बालों और गंजेपन का उपचार किया जाता है। लेकिन इसके साथ अन्य ट्रीटमेंट विधियां विशेषकर हेयर ट्रांसप्लांट भी अमल में लाई जाती है। लेजर तकनीक से सिर की ब्लड कोशिकायें एक्टिव होकर रक्त का संचार तेज कर देती हैं, जिससे बालों को उगने में मदद मिलती है।
हेयर वीविंग
यह ऐसी तकनीक है जिसके जरिए सामान्य बालों को या सिंथेटिक हेयर को खोपड़ी के उस भाग पर वीव कर दिया जाता है, जहां गंजापन है। इसके लिए आमतौर पर हेयर कटिंग कराने के बाद जो बाल मिलते हैं, उन्हें हेयर मैन्युफैक्चरर को बेच दिया जाता है। उसके बाद इन्हीं बालों को वीविंग के काम में प्रयोग किया जाता है।
सिलिकॉन सिस्टम
अगर आप दर्द भी नहीं चाहते तो यह तरीका आपके बहुत अच्छा है। इसमें आसपास के मूल बालों को ट्रिम किया जाता है। इसके बाद उस पर ग्लू (सिलिकॉन जेल) लगाते हैं और फिर हेयर यूनिट को इस पर चिपका देते हैं। यह एक से डेढ़ महीने तक फिक्स रहता है उसके बाद ढीला होने लगता है। ऐसे में सर्विस कराने की जरूरत होती है।
इन तरीकों के अलावा टेपिंग, बांडिंग, विग आदि का प्रयोग करके गंजेपन को छुपाया जा सकता है। लेकिन गंजेपन की समस्या से निजात दिलाने वाले इन तरीकों को आजमाने से पहले एक बार चिकित्सक से सलाह अवश्य लीजिए।
लेजर से भी गिरते बालों और गंजेपन का उपचार किया जाता है। लेकिन इसके साथ अन्य ट्रीटमेंट विधियां विशेषकर हेयर ट्रांसप्लांट भी अमल में लाई जाती है। लेजर तकनीक से सिर की ब्लड कोशिकायें एक्टिव होकर रक्त का संचार तेज कर देती हैं, जिससे बालों को उगने में मदद मिलती है।
हेयर वीविंग
यह ऐसी तकनीक है जिसके जरिए सामान्य बालों को या सिंथेटिक हेयर को खोपड़ी के उस भाग पर वीव कर दिया जाता है, जहां गंजापन है। इसके लिए आमतौर पर हेयर कटिंग कराने के बाद जो बाल मिलते हैं, उन्हें हेयर मैन्युफैक्चरर को बेच दिया जाता है। उसके बाद इन्हीं बालों को वीविंग के काम में प्रयोग किया जाता है।
सिलिकॉन सिस्टम
अगर आप दर्द भी नहीं चाहते तो यह तरीका आपके बहुत अच्छा है। इसमें आसपास के मूल बालों को ट्रिम किया जाता है। इसके बाद उस पर ग्लू (सिलिकॉन जेल) लगाते हैं और फिर हेयर यूनिट को इस पर चिपका देते हैं। यह एक से डेढ़ महीने तक फिक्स रहता है उसके बाद ढीला होने लगता है। ऐसे में सर्विस कराने की जरूरत होती है।
इन तरीकों के अलावा टेपिंग, बांडिंग, विग आदि का प्रयोग करके गंजेपन को छुपाया जा सकता है। लेकिन गंजेपन की समस्या से निजात दिलाने वाले इन तरीकों को आजमाने से पहले एक बार चिकित्सक से सलाह अवश्य लीजिए।
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